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अश्रू गरिबी जिंदगानी काळा डोह जगायला हवे तसे काय विचारले आभास वास्तव जग माणुसकी विश्रांती निवारा हवे हवेसे परी आता कोणीतरी

Marathi सावराया हवे आता Poems